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जोधन गलत मार्ग से आता है वह दुखदाई होता है। अजय शास्त्री

नव दिवसीय बहुत धाम का श्री रामचरितमानस सम्मेलन का तीसरा दिन

रिपोर्ट-राकेश पाठक

हैदरगढ़ बाराबंकी संकल्प की समुचित सफलता के लिए मन का नियंत्रण और संयम आवश्यक है यह बात अयोध्या धाम से आए महंत सुकृपा दास ने कही बहुता धाम में हो रहे 97 वां श्री रामचरितमानस सम्मेलन मे बोलते हुए अयोध्या धाम कौशल्या घाट के महंत सुकृपा दास जी महाराज ने आगे कहा कि मन की गति बड़ी तीव्र है वेद पुराण गीता आदि शास्त्रों में मन को इधर-उधर सांसारिक प्रपंचों और विषयों की ओर भागने से रोकने के लिए भगवान के स्वरूप का ध्यान करते हुए नाम जप करने का विधान बताया गया है भगवान ने बताया है कि संसार से मन हटाकर मेरी ओर मन लगाओ तुलसी बाबा ने लिखा है की सबके ममता ताग बटोरी। मम पद मनहिं बाॅधु वरि डोरी।। प्रोफेसर जितेंद्र नाथ पांडे ने कहा कि भगवान श्री राम जहां अपने प्रीतम शौर्य से दुष्ट राक्षसों का संघार करते हैं वही हनुमान जी महाराज विभीषण सुग्रीव को राम से मिलाने का भी कार्य करते हैं वास्तव में संसार की आसर्ता को समझने वाले संत ही जीव को परमात्मा से जोड़ते हैं हनुमान जी ने तो रावण को भी अपनी दूष्टता को त्याग कर भगवान से मिलाने की सलाह देते हैं। राम चरन पंकज उर धरहू। लंका अचल राज तुम करहूं।। स्वामी दिन शुक्ला रामायणी ने कहा कि भारतीय संस्कृति भारत के ऋषियों की देन है ऋषियों ने पर्वतों नदियों के तट पर तपस्या करके ब्रह्म तत्व का साक्षात्कार किया पंडित अवधेश शुक्ल तरंग ने बताया कि भारत भूमि ऊर्जा का स्रोत है यही कारण है कि विश्व के अनेक देशों से समृद्ध संपन्न विदेशी भी शांति की खोज में भारत आते हैं प्रयागराज अयोध्या तथा काशी मथुरा आदि तीर्थ क्षेत्र में रहकर सुख शांति का अनुभव करते हैं । बहुत धाम के अजय नाथ शास्त्री बिंदु ने कहा कि जीवन का निर्माण अन्न्   होता है अतः अर्थ अर्थात धन पवित्र होना चाहिए जो धन अन्याय शोषण रिश्वत या अनुचित मार्ग से आता है वह परिणाम में दुखदाई होता है कवि रामेश्वर प्रसाद द्विवेदी ने कहा कि भारतीय चेतना के नायक मर्यादा पुरुषोत्तम राम है भारत मर्यादा एवं सदाचार प्रधान राष्ट्र है राम प्राणी मात्र के अस्तित्व के पोषक हैं प्रेम दास बाबा कुटी के महंत लालता दास जी ने गीता के निष्काम कर्म की व्याख्या करते हुए कहा कि कर्म का फल मनुष्य के अवश्य भोगना पड़ता है अतः सतर्क रहकर शुभ कर्म करने चाहिए बिहार से आए पन्नालाल प्रेमी ने अपने सरस भजनों से श्रोताओं को रस विभोर किया इसके अतिरिक्त पंडित चंद्र प्रकाश तिवारी ने अपने संगीत से श्रोताओं को मंत्र मुक्त कर दिया कार्यक्रम के आयोजक सुशील पांडे ने आए हुए संत विद्वानों का स्वागत कर आभार जताया।

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