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प्रभु के नाम से बड़ा कोई धन नहीं-आचार्य श्री शिवानंद तिवारी जी महराज

ब्यूरो प्रमुख शिवांशु मिश्रा

फुरसतगंज अमेठी।पीढी गांव में हो रही सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद भागवत कथा के विश्राम दिवस पर श्री धाम वृंदावन से आए कथावाचक आचार्य श्री शिवानंद जी महाराज ने सुदामा चरित्र का वर्णन करते हुए कहा कि मित्र हो तो सुदामा जैसा जिसने निष्पक्ष भाव से श्रीकृष्ण के साथ मित्रता की। उन्होंने आह्वान किया कि हर व्यक्ति को श्रीकृष्ण-सुदामा की मित्रता से सीख लेते हुए ऐसे ही मित्रता के मार्ग पर चलना चाहिए।रविवार को सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद भागवत कथा के अंतिम दिन श्री धाम वृंदावन से आए कथावाचक आचार्य श्री शिवानंद तिवारी जी महराज ने कहा कि मनुष्य को मृत्यु पश्चात मोक्ष उसके कर्मों के अनुसार मिलता है और जीवित अवस्था में भागवत श्रवण करने वाले को उसके जीवन काल में ही मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। उन्होंने सुदामा चरित्र का वर्णन करते हुए कहा कि मित्र हो तो सुदामा जैसा जिसने निष्पक्ष भाव से श्रीकृष्ण के साथ मित्रता की।कथावाचक आचार्य श्री शिवानंद तिवारी जी महराज ने उपस्थित भक्तों को बताया कि सबसे पहले भागवत कथा राजा परीक्षित को वेदव्यास के पुत्र शुकदेव ने शुक्रताल में श्रवण कराई थी और राजा परीक्षित को मोक्ष दिलाया था। उन्होंने कहा कि प्रभु के नाम से बड़ा कोई धन नहीं है। उन्होंने उपस्थित श्रदालुओं से भागवत कथा के अधिकाधिक श्रवण करने और दान करते रहने को अति आवश्यक बताया।

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