वन माफिया और दलाल पत्रकारों की मिलीभगत बेनकाब – पुरानी फर्जी खबरों से दबाव बनाने की साजिश नाकाम
ईमानदार वन दरोगा सचिन पटेल पर सुनियोजित मानसिक दबाव बनाने की कोशिश

बाराबंकी : हरख रेंज अंतर्गत सिद्धौर ब्लॉक के कोपवा गांव में हाल ही में गूलर के वृक्ष की अवैध कटान पर हुई सख्त कार्रवाई ने वन माफियाओं और उनके सहयोगियों की नींद उड़ा दी है। इस पूरी कार्रवाई का नेतृत्व कर रहे थे – निडर, ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ वन दरोगा सचिन पटेल, जिन्होंने वर्षों से क्षेत्र में वन अपराधियों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया हुआ है।
वन माफियाओं को लगी चोट, शुरू की बदनाम करने की साजिश,
जैसे ही कोपवा गांव में अवैध कटान पर शिकंजा कसा गया, वन माफियाओं ने अपनी बची-खुची ताकत को बचाने के लिए एक नई रणनीति अपनाई – फर्जी खबरों का सहारा लेकर वन दरोगा पर मानसिक दबाव बनाना।
जानकारी के अनुसार, कुछ दलाल प्रवृत्ति के कथित पत्रकार, जो पूर्व में भी संदिग्ध भूमिकाओं में रहे हैं, अब पुराने, तीन से चार साल पुराने फर्जी और गढ़े हुए आरोपों को फिर से सामने लाकर जनता और अधिकारियों में भ्रम फैलाने का प्रयास कर रहे हैं। इनका मकसद साफ है – वन दरोगा श्री पटेल को दबाव में लेकर अपनी मर्जी से काम करवाना, या कार्रवाई रुकवाना।
कैसे बनाई गई साजिश?
पुरानी जांचों से जुड़े असत्यापित दस्तावेजों और सोशल मीडिया पोस्टों को अचानक सक्रिय किया गया।
तथ्यों को तोड़-मरोड़कर प्रस्तुत किया गया, ताकि एक ईमानदार अधिकारी की छवि पर सवाल खड़े किए जा सकें।
कुछ तथाकथित पत्रकारों ने जानबूझकर इन फर्जी खबरों को व्हाट्सएप ग्रुप्स, फेसबुक और अन्य मंचों पर साझा करना शुरू किया।
उच्च अधिकारियों तक भ्रमित करने वाली सूचनाएं भेजी गईं, ताकि विभाग में गलतफहमी फैलाई जा सके।
लेकिन सच्चाई को दबाया नहीं जा सकतावन विभाग के रिकॉर्ड और श्री सचिन पटेल के सेवा इतिहास में उनके कार्यों की पारदर्शिता और निष्ठा स्पष्ट रूप से दर्ज है। अब तक उनकी अगुआई में कई माफियाओं पर कार्रवाई हुई है, कई बार विभागीय टीमों ने जान जोखिम में डालकर जंगल और पर्यावरण की रक्षा की है।
ऐसे में यह प्रयास सिर्फ एक बात को दर्शाता है – जब ईमानदारी से काम करने वाला अधिकारी माफियाओं की जड़ें हिला देता है, तब वे डरकर चरित्र हनन के हथकंडे अपनाते हैं।
वन विभाग और प्रशासन का रुख साफ
वन विभाग ने स्पष्ट किया है कि विभाग अपने कर्मठ अधिकारियों के साथ मजबूती से खड़ा है। फर्जी खबरें फैलाने वालों की पहचान कर उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। विभाग पर्यावरण और जंगल की रक्षा के अपने संकल्प से पीछे नहीं हटेगा।
जनता से अपील – सत्य का साथ दें, साजिशों का विरोध करें
यह समय है जब समाज को ऐसे अधिकारियों का मनोबल बढ़ाना चाहिए। अगर आज सच के साथ खड़ा नहीं हुआ गया, तो कल हर ईमानदार व्यक्ति दबाव और साजिश का शिकार बन सकता है।
निष्कर्ष:
वन दरोगा श्री सचिन पटेल पर की जा रही साजिशें एक बड़े नेटवर्क का हिस्सा हैं – जो कानून, पर्यावरण और ईमानदारी के खिलाफ खड़ा है। ऐसे में यह ज़रूरी है कि प्रशासन, समाज और मीडिया का ईमानदार हिस्सा मिलकर इन साजिशों को बेनकाब करे और एक सशक्त संदेश दे – “सत्य को दबाया नहीं जा सकता, और कर्तव्यनिष्ठ अफसरों की गरिमा से समझौता नहीं होगा।”