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श्रीमद भागवत कथा का तीसरा दिवस;सती चरित्र और शिव विवाह की कथा

कथावाचक आचार्य विपिन नंदन शुक्ला जी महाराज ने बताया कि संसार में 10 प्रकार की सृष्टि होती है। जिसमें मनु और शतरूपा द्वारा वंश का वर्णन किया गया है।

ब्यूरो प्रमुख शिवांशु मिश्रा

जगदीशपुर अमेठी।श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिवस की रात्रि कालीन बेला पर ग्राम पंचायत अशरफपुर में मुख्य यजमान संतोष गुप्ता द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा में कथावाचक आचार्य विपिन नंदन शुक्ला जी महाराज ने बताया कि संसार में 10 प्रकार की सृष्टि होती है। जिसमें मनु और शतरूपा द्वारा वंश का वर्णन किया गया है। उन्होंने बताया कि दुर्योधन में लगाव का भाव का अभाव था।अत: भगवान कृष्ण ने दुर्योधन के 56 प्रकार के भोजन त्याग कर विदुर जी के यहां भोग ग्रहण किया‌।गुरुवार की कथा में महराज जी ने कपिल और देवहूति संवाद, सती चरित्र और शिव विवाह का वर्णन किया हैं। सती माता ने अपने गुरु अगस्त ऋषि से कथा ना सुनना और अपने पति शिव जी की बात को न मानने को शरीर त्यागने का कारण बताया।जिस प्रकार से चंदन के वृक्ष में शीतलता और सुगंधता होती है।उसी प्रकार मनुष्य को भी पांच प्रकार की सेवाएं बताई गई है।जिसमें सन्यास, गृहस्थी, वानप्रस्थ, स्त्री धर्म, और दान सेवा करनी चाहिए। उपरोक्त सारी सेवाओं को करने के बाद ही जीवन को सुख मय और आनंद मय बना सकते है। महाभारत में अन्याय और न्याय की लड़ाई है जिसमें विदुर जी ने महामंत्री पद की गरिमा रखते हुए धृतराष्ट्र से पांडवों के साथ अन्याय न करने को कहा था। लेकिन धृतराष्ट्र न्याय के मार्ग पर न चलकर बल्कि विदुर को ही राज्य के महामंत्री पद से हटाकर अन्याय के रास्ते पर चलना शुरू किया।वही श्रीमद भागवत कथा के तीसरे दिवस की रात्रि कालीन बेला पर शिव विवाह की सुंदर मनमोहक झाकियां प्रस्तुत की गई।जहां कथा श्रवण करने आए भक्तों ने सुंदर व मनमोहक झाकियां देखकर मंत्रमुग्ध नजर आए।

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